लुत्फे इश्क़
कि हमें तो इश्क़ है बेपनाह ,
तुम्हे भी हो!तो मज़ा कुछ और हो।
ये जो उलझे उलझे से रहते हो ज़िंदगी मे
खुल कर जियो ,तो मज़ा कुछ और हो।
और क्या मिलता है इत्र की दुकानों में दिलबर
महके तेरा किरदार ,तो मज़ा कुछ और हो।
इक पल में ज़िंदगी की कहानी है तमाम
इक पल में सौ पल जिओ,तो मज़ा कुछ और हो।
यूँ तो दोस्तो की फेहरिस्त में कमी हो गयी है अब
सच्चा दुश्मन ही मिल जाये,तो मज़ा कुछ और हो।
ज़िन्दगी में कुछ हमदर्द मिले कुछ कमज़र्फ भी
हाँ!फर्क जल्द ही समझ आये,तो मज़ा कुछ और हो।
तो मज़ा कुछ और हो।।
रौशन💐
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
29-Aug-2021 03:46 PM
Bahut khubsurat likhti ho .ma'am sahab .....
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Raushan
31-Aug-2021 06:19 PM
Are kya kehte hai Sir...
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